खुशी ही सफलता है , लोग सफलता को खुशी मानते हैं, लेकिन खुशी अलग बात है, सफलता से खुशी नहीं मिलती, खुशी ही सफलता की ओर ले जाती है.

1:-👉 PEPALE सफलता के लिए

दिन-रात दौड़ते हैं । सफलता की ओर बढ़ना अच्छी बात है। लेकिन क्या 

आपने कभी सोचा है कि सफलता क्या है? खैर, किसी भी तरह की सफलता

हासिल करने के बाद क्या होता है? खुशी इसलिए  "सफलता खुशी है,

खुशीही सफलता है।" इस दुनिया में किसी भी व्यक्ति के जीवन को देखो, वह

सिर्फ खुशी के लिए दौड़ रहा है।

उदाहरण:- घर विश्व की स्थापना करेगा। भौतिक धन का निपटान करेंगे, या

अपना कोई सपना पूरा करेगा, क्योंकि उसका आनंद उसी से जुड़ा है



           
दुनिया का सबसे दुखी इंसान भी इसी ख्वाहिश पर जी रहा है कि एक दिन,

मेरी जिंदगी भी बदलेगी और मेरे जीवन में खुशियां आएगी, मतलब "खुशी ही

जिंदगी है" लेकिन क्या हम जिंदगी में खुशियां ला सकते हैं? क्या हमारा जीवन

आनंद से भरा है? नहीं, यह आनंद कहां से आता है,  यह आनंद कहां से आता

है? क्या कोई बाजार है जहां पैसा देकर उसे खरीदा जा सकता है? पैसा सुविधा

खरीद सकता है, आनंद नहीं। तो सवाल यह है कि आनंद कहां से आएगा?


         
आइए जड़ से शुरू करें :- इस दुनिया में सबसे ज्यादा खुश कौन है 

"भगवान " तो यह भगवान सबसे खुश क्यों है? जवाब तो आएगा की ए पूछने

लायक  है? अगर वह भगवान है, तो वह खुश होगा। लेकिन क्या यह जवाब

समझदारी भरा है? भगवान इतने आनंदित हैं क्योंकि वे ब्रह्मांड में बिना मांगे सब

कुछ देते हैं। परीक्षण:- वह हवा, पानी, अनाज, प्रकाश आदि देता रहता है,

तभी ब्रह्मांड के सभी जीव जीवित रह सकते हैं। और वह देता है और वह 

प्राप्त करता है। यह नियम भगवान ने बनाया है। पना है तो देना होगा। एक

कहावत है " जैसा बोयेगा वैसा ही मिलेगा"। "जैसी करनी वैसी भरनी"


यदि आप इसे प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इसे देना होगा। हम देते नहीं

हैं और प्राप्त करना चाहते हैं।

          यह बात सृष्टि के नियम के विरुद्ध है, आनंद चाहिए तो आनंद देना ही

पड़ेगा, आनंद मनुष्य में   बांटना होगा। जितना आनंद बांटोगे उतना ही उपयोग

करोगे।

         
आपको हमेशा खुशी मिलती है, लेकिन यह तब तक नहीं होती जब तक आप उसे

दे ना दे। देने का यह तरीका ऐसा है कि यह कभी विफल नहीं हुआ है।

दान ही सुख प्राप्ति का एकमात्र उपाय है। जो दूसरों की सेवा करता है उसे

परम आनंद की प्राप्ति होती है। खुशी एक ऐसी चीज है जो अगर आपके पास

नहीं है तो भी आप उसे बिना कीमत के दूसरों को दे सकते हैं।



         
देखिए, कोई व्यक्ति दुखी होगा, परेशान होगा और अगर आप उसके जीवन

में आनंद लाने की कोशिश करेंगे, तो आपके जीवन में आनंद नाचने लगेगा।

और एक बार जब आपके जीवन में खुशियां आने लगेंगी, तो सभी बंधे हुए

दरवाजे खुल जाएंगे। आकर्षण के नियम के अनुसार आप जो देंगे वही

आपको मिलेगा।




    
 १:- आनंद की अवस्था में व्यक्ति आस्तिक होता है।
      
 2:- हर्षित मनुष्य बिना प्रवचन दिए प्रवचन देता है।
    
 3:- आनंद की स्थिति में व्यक्ति अधिक आत्मविश्वासी होता है।
    
 4- आनंद की स्थिति में आपका निर्णय सही होता है।

5:- आनंद की अवस्था में सौन्दर्य और कर्तव्य अच्छा होता है।
     
6 :- आनंद की अवस्था में व्यक्ति निरोगी रहता है।


         
आपने कभी सोचा है 

* जब हम कोई आर्टिकल पढ़ते हैं या कोई मोटिवेशनल वीडियो

देखते हैं तो हम काफी मोटिवेट हो जाते हैं। लेकिन कुछ समय बाद प्रेरणा

नहीं रहती, इसका कारण यह है कि हमें अच्छी बातें पता चलीं लेकिन किसी को बताया नहीं,इसी लिए यह ज्ञान ब्रह्मांड के नियम अनुसार हमें प्रभावित नहीं करेगा, इसलिए ऐसी आदत डालें, यदि आपको अच्छी बातें पसंद आती है तो  फिर उसे
शेयर करें।



मोटिवेशन स्पीकर और राइटर हमेशा कॉन्फिडेंस में रहते हैं। क्योंकि उसे जो

मिला है, वह दुनिया को बांटते रहते है और दुनिया  घुमाकर उसे देती रहती

है।


     पढ़ने के लिए धन्यवाद.........


 

About rameshthakor

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.

0 comments :

Post a Comment

अपने जनुन को केसे खोजे,?

  क्या आप ऐसे व्यक्ति हैं जो अक्सर इस सवाल से जूझते रहे हैं - 'मैं क्या अच्छा हूँ?'  या यों कहें कि, 'क्या मैं किसी भी चीज़ में ...